शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

द ग्रेट जीएम 'श्री गणेश' के फंडे

द ग्रेट जीएम 'श्री गणेश' के फंडे जिंदगी के हर क्षेत्र में मैनेजमेंट बहुत जरूरी है फि‍र वो चाहे पढ़ाई हो या करि‍यर, घर का काम हो या ऑफि‍स का। ऐसे तो सभी मैनेजमेंट गुरु मैनेजमेंट के अपने-अपने फंडे देते रहते हैं। लेकि‍न इस बार हम आपको बता रहे हैं वि‍घ्नषहर्ता 'श्रीगणेश' के मैनेजमेंट फंडे। श्री गणेश से जुड़ी हर चीज और वि‍चार हमें कोई ना कोई मैनेजमेंड फंडा जरूर बताता है, जरूरत है तो बस उसे पहचानने की। गणेशजी बुद्धि‍ के देवता हैं और उन्हेंम बद्धि‍ से ही समझा जा सकता है। सही इस्तेमाल यदि हम श्री गणेश और प्रबंधन की बात करें तो सबसे पहले हमें उनके वाहन चूहे पर ध्यान देना चाहिए, जो एक प्रबंधक को यह सिखाता है कि कैसे छोटे-से स्रोत का भी सही प्रबंधन कर उसका बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं। लगातार आगे गणेशजी सौम्य, शांति और चंचलता के प्रतीक हैं। एक प्रबंधक में केवल शांति ही नहीं, चंचलता का गुण मार्केट में आगे निकलने के लिए आवश्यक है। इसी गुण से वह कंपनी या कॉलेज में एक सफल प्रबंधक साबित हो सकता है। संकट दूर करे विघ्नहर्ता का एक अर्थ प्रबंधक होता है, जो कठिन से कठिन परिस्थिति में तमाम तरह के विघ्नों को जल्द से जल्द हर कर विघ्नहर्ता बन जाए। इसीलिए गणेश प्रथम वंदनीय हैं। बुद्धि व चतुराई गणेशजी की जीवनलीला का वह प्रसंग जिसमें कार्तिकजी और गणेशजी के बीच हुई प्रतियोगिता भी प्रबंधन के गुर सिखाती है। प्रतियोगिता जीतने के लिए समय प्रबंधन और परिस्थिति में तुरंत कार्य करने की क्षमता चाहिए। एक दंत श्री गणेश का एक दाँत बताता है कि आपको अपनी खासियत बचाकर रखना चाहिए और फालतू चीजों का त्याग कर देना चाहिए। इससे आप अपने कामों को ज्यादा बेहतर ढंग से कर सकते हैं और अनचाही परेशानियों से बच सकते हैं। छोटे पैर किसी काम को बेहतर ढंग से अंजाम देने के लिए आपको अपना संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी होता है। श्री गणेश के छोटे पैर न केवल यह संदेश देते हैं कि आपको अपना संतुलन बनाए रखना है बल्कि यह भी बताते हैं कि किस तरह धीरे-धीरे और छोटे-छोटे कदमों से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सकता है। इसी रणनीति के जरिए आप अपने कदमों के निशान छोड़ सकते हैं। अलर्टनेस श्री गणेश का चूहा अलर्टनेस और मूवमेंट्स का प्रतीक है। यह बताता है कि आपको कामयाब होने के लिए हमेशा अलर्ट रहना चाहिए और समय के हिसाब से गतिशील और सक्रिय रहना चाहिए। पचाने की ताकत श्री गणेश का बड़ा पेट भी अपने में बड़े अर्थ समाहित किए हुए है। यह बताता है कि आप में अच्छी -बुरी तमाम बातों को पचाने की ताकत होना चाहिए। अक्सर यह देखा जाता है कि स्टूडेंट्स या युवा किसी की बात सुनकर चाहे-अनचाहे रिएक्ट करते हैं या बिना सोचे-समझे कुछ कर बैठते हैं। उनके लिए बड़े पेट का प्रतीक बताता है कि पहले उस बात को समझो-जानो और फिर किसी काम को अंजाम दो। साथ करो श्री गणेश के हाथ में रोप भी दिखाई देती है। यह इस बात की प्रतीक है कि आपको अपने आसपास या टीम के सदस्यों को साथ लेकर उन्हें कॉमन गोल के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे टीम भावना पैदा होती है और सामूहिक ढंग से गोल हासिल कर सकते हैं। मोदक और आपने ऊपर बताए तमाम फंडे अपनाकर सफलता और समृद्धि पा ली है तो जाहिर है दुनिया आपके कदमों में होगी। सभी आपसे प्रभावित होंगे और आपकी प्रशंसा करेंगे। मोदक मेहनत, लगन और साधना का प्रतीक है।

गुरुवार, 26 नवंबर 2009

बुधवार, 25 नवंबर 2009

गुरुवार, 13 अगस्त 2009

मेरी जान.........................

मेरी जान......................... आज दिल को फ़िर करार आ गया हे, वो न मिले परख्याल आ गया हे, वो बलखा के चलना याद आ गया हे, वो न मिले परख्याल आ गया हे................... (1) वो उनका यु हसना, हंसकर लिपटना, लिपटकर यु मुझसे आँखे चुराना, मेरे दिल को भा गया हे..............., वो न मिले परख्याल आ गया हे....................... (२) उनका यु जानकर अनजान बनना, मेरा दिल जलाकर, वो दुश्मन से मिलना, मेरे जिस्म पर वो निशाँ आ गया हे, वो न मिले परख्याल आ गया हे........................ (३) यु आख़िर मुझसे रूठकर जाना, उन्ही राहो पर मेरा यु नज़रे बिछाना, जिस राह से उनका यु चलकर जाना, मेरे दिल में यु आग लागा गया हे....................... वो न मिले परख्याल आ गया हे........................ आज दिल को फ़िर करार आ गया हे...................................

शनिवार, 8 अगस्त 2009

मेरी माँ............................

मेरी माँ............................

नत होकर मादर-ऐ-कुचे से निकला,

मुझे न पता था, कि रुसवा हे जिन्दगी,

मै फ़िर न लोटकर आ पाउँगा,

लेकिन मेरी माँ खड़ी है चौखट पर वही,

मुझे पता होता कि मै फ़िर न आऊंगा,

तो शायद चूम लेता, मै हथेली उनकी,

दो पल प्यार के और देख लेता उनको,

थोड़ा खाने पर थोड़ा घुमने पर और लड़ लेता,

मुझे न पता था, वो यु ही खड़ी रहेगी,

नही तो अन्दर करके जाता उनको,

  1. लेकी मेरी माँ खड़ी है, चौखट पर वही...........................

शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

ये घर...................................... मेरा तुम्हारा सबका घर, अजीबो - गरीब कहानी कहता हे घर, एक झत चंद दीवारों से मिलकर बनाया हे घर, क्या इसी को कहते हे घर, या परिवार से मिलकर बनता हे घर, उठाया मुहं चले गए हम, उठाया मुहं आ गए हम, क्या इसी को कहते हे घर, कितना आसन हे कहना घर, उतना ही मुश्किल हे चलाना घर, दो अक्चरो से मिलकर बना हे घर, पर इसका अर्थ नही ढूंड पाया हे, ....... जिन्दगी का सफर ...............
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