गुरुवार, 13 अगस्त 2009
मेरी जान.........................
मेरी जान.........................
आज दिल को फ़िर करार आ गया हे,
वो न मिले परख्याल आ गया हे,
वो बलखा के चलना याद आ गया हे,
वो न मिले परख्याल आ गया हे...................
(1) वो उनका यु हसना, हंसकर लिपटना,
लिपटकर यु मुझसे आँखे चुराना,
मेरे दिल को भा गया हे...............,
वो न मिले परख्याल आ गया हे.......................
(२) उनका यु जानकर अनजान बनना,
मेरा दिल जलाकर, वो दुश्मन से मिलना,
मेरे जिस्म पर वो निशाँ आ गया हे,
वो न मिले परख्याल आ गया हे........................
(३) यु आख़िर मुझसे रूठकर जाना,
उन्ही राहो पर मेरा यु नज़रे बिछाना,
जिस राह से उनका यु चलकर जाना,
मेरे दिल में यु आग लागा गया हे.......................
वो न मिले परख्याल आ गया हे........................
आज दिल को फ़िर करार आ गया हे...................................
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